(छन्द:- शार्दूलविक्रीडित ) प्यारा प्राणसमानका तिलकजी विद्वत्वका सागर विद्या बुद्धि विवेकले गहकिला नैपुण्यका निक्खर कैयौँ कालजयी कमाल कृतिले साहित्य पाऱ्यौ...