संस्कृतबाट रूप परिवर्तित भई नेपालीमा आएका शब्दलाई तद्भव शब्द भनिन्छ । यस्ता शब्द पहिचान गर्ने केही आधारहरू निम्नबमोजिम छन् :
- तद्भव शब्दमा श र ष प्रयोग हुँदैनन्। स अक्षर मात्र प्रयोग गरिन्छ।
- अधिकतर तद्भव शब्दमा वका सट्टा ब प्रयोग हुन्छ।
- तद्भवमा ऋ, ज्ञ, क्ष, ञ जस्ता अक्षरको प्रयोग हुँदैन।
- तद्भवमा अनुस्वार वा शिरविन्दु प्रयोग हुँदैन। संस्कृत शब्दमा रहेको अनुस्वार नेपालीमा प्रायः चन्द्रविन्दु बनेर आएको पाइन्छ।
अब उल्लिखित साधारण विधिका आधारमा तद्भव शब्दहरूको अध्ययन गरौँ।
१. संस्कृतका शब्दमा यदि नासिक्य वर्ण (ङ, ञ, ण, न, म) वा अनुस्वार (शिरविन्दु) छ र उक्त शब्द नेपालीमा तद्भवका रूपमा आएको छ भने धेरैजसो शब्दमा उक्त नासिक्य वा अनुस्वार प्रायः चन्द्रविन्दुमा परिणत भएको पाइन्छ। केही उदाहरण हेरौँ :
संस्कृत (तत्सम) | तद्भव | संस्कृत (तत्सम) | तद्भव |
अङ्गुल | औँला | आम्र | आँप |
हंस | हाँस | रोम | रौँ |
कण्टक | काँडा | ताम्र | तामा (ताँबा) |
वंश | बाँस | लम्ब | लामो (लाँबो) |
भाण्ड | भाँडा | पञ्च | पाँच |
घुण्ट | घुँडो | स्कन्ध | काँध |
चन्द्र | चाँदी | बन्ध | बाँध |
अमावस्या | औँसी | दन्त | दाँत |
अङ्गार | अँगार | शृङ्गार | सिँगार |
अन्धकार | अँधेरो/अँध्यारो | अन्त्र | आँत |
कम्पन | काम्नु, काँप्नु | ग्राम | गाउँ |
नाम | नाउँ | दशमी | दसैँ |
धूम | धुँवा | भूमि | भुईँ |
भूकम्प | भुईँचालो/भैँचालो | दण्ड | डाँठ |
अञ्चल | आँचल | अङ्गण | आँगन |
जङ्घा | जाँघ | सञ्चयन | साँच्नु |
सन्धि | साँध | भण्डन | भाँड्नु |
बण्डन | बाँड्नु | पिण्डालु | पिँडालु |
पिञ्जर | पिँजरा | सिञ्चन | सिँच्नु |
कुण्ड | कुँडो | उम्भ | उँभो |
२. संस्कृतमा रहेको क्ष तद्भवमा सामान्यतः ख/छ हुन्छ।
संस्कृत (तत्सम) | तद्भव | संस्कृत (तत्सम) | तद्भव |
अक्षि | आँखो, आँखा | क्षीर | खिर |
क्षीरिणी | खिर्नी (एक वृक्ष) | क्षार | खार |
इक्षु | इख (प्राकृतमा इक्ख) | कुक्षि | कोख (प्राकृतमा कोक्ख) |
क्षत | खत | कौक्ष | कोखो |
प्रतीक्षा | पर्खाइ | क्षेत्र | खेत |
अक्षर | अच्छेर | मक्षिका | माखो (झिँगो) |
लक्ष | लाख | पक्ष | पाखो |
तक्षण | ताछ्नु | क्षत्री | छेत्री |
३. तत्सम (व) – तद्भव (ब), श र ष – स, कतिपय शब्दमा ष-खमा परिणत हुने।
संस्कृत (तत्सम) | तद्भव | संस्कृत (तत्सम) | तद्भव |
विवाह | बिहा, बिहे | वर्षा | बर्खा |
वर्षा | बर्सात/बर्साद | पुरुष | पुर्खा |
विस्मृति | बिर्साइ (भुलाइ) | वानर | बाँदर |
विद्युत् | बिजुली | विष | बिख |
शाक | साग | शूण्ड | सुँड |
श्वसुर | ससुरा | श्वश्रू | सासू |
शास्ति | सास्ती | सुविधा | सुबिस्ता |
द्विविधा | दुबिधा | शृगाल | स्याल |
अश्रु | आँसु | वधू | बुहारी |
४. तत्सम (य) – तद्भव (ज) (धेरैजसो)
संस्कृत (तत्सम) | तद्भव | संस्कृत (तत्सम) | तद्भव |
युक्ति | जुक्ति | वियोग | बिजोग |
युग | जुग | योग | जोग |
संयोग | सन्जोग | योगी | जोगी |
यत्र | जहाँ | यदा | जब |
यजमान | जजमान | यज्ञ | जग्गे |
यमराज | जेमराज (कोशमा नभए पनि कथ्य उच्चारण) | यवाङ्कुर | जमरा |
यूथ | जत्था | यौवन | जोबन |
ज्येष्ठ | जेठ | कार्य | कार्जे/काज |
सूर्य | सुर्जे | धैर्य | धार्जे |
यूका | जुका |
५. महिनाका नाम (तत्सम – तद्भव)
संस्कृत (तत्सम) | तद्भव | संस्कृत (तत्सम) | तद्भव |
वैशाख | वैशाख* | कार्तिक | कात्तिक |
ज्येष्ठ | जेठ | मार्ग, मार्गशीर्ष | मङ्सिर |
आषाढ | असार | पौष | पुस |
श्रावण | साउन | माघ | माघ* |
भाद्र | भदौ | फाल्गुन | फागुन |
आश्विन | असोज | चैत्र | चैत |
(*वैशाख र माघ महिनाका लागि छुट्टै तद्भव शब्द छैनन्।)
६. अन्य केही तद्भव शब्दहरू
संस्कृत (तत्सम) | तद्भव | संस्कृत (तत्सम) | तद्भव |
छत्र | छाता | पत्र | पात |
अत्र | यहाँ | तत्र | त्यहाँ |
हस्त | हात | रात्रि | राति |
मांस | मासु | दुग्ध | दुध |
मिष्ट | मिठो | तिक्त | तितो |
कीट | किरो | बीज | बिउ |
रक्त | रगत | शिल्प | सिप |
नख | नङ | सूर्प | सुपो (नाङ्लो) |
कर्ण | कान | दधि | दही |
ऋण | रिन | घृत | घिउ |
पीडा | पिर | प्रस्तर | पहरो |
व्याघ्र | बाघ | स्वर्णकार | सुनार |
स्वर्ण | सुन | काश | काँस |
प्रस्तर | पत्थर | हीरक | हिरा |
पुरोहित | पुरेत | श्वेत | सेतो |
दक्षिण | दाहिने | वत्स | बच्चा |
वृद्ध | बुढो | भगिनी | बहिनी |
बिडाल | बिरालो | कुक्कुर | कुकुर |
फेरव | फ्याउरो | वृक | ब्वाँसो |
दिवस | दिउँसो | गुहा | गुफा |
प्रस्तुत लेखमा दिइएका जानकारी तद्भव शब्दहरूको चिनारीका लागि पर्याप्त नहोलान् तर धेरै हदसम्म सहयोग मिल्ने आशा गर्न सकिन्छ।
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